बिहार में पंचायत चुनाव ग्रामीणों के बीच राजनीति उठापटक का सिलसिला थमता नहीं है. ऐसा ही एक मामला राज्य निर्वाचन आयोग के पास आया. मामले की जांच निर्वाचित महिला मुखिया के खिलाफ शुरू हुई. लंबी सुनवाई के बाद महिला मुखिया तो बरी हो गयी पर इस पूरे मामले में तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) फंस गयी है. मुखिया पर गिरनेवाला गाज अब सीडीपीओ के ऊपर मंडराने लगा है. मामला पूर्वी चंपारण जिला के रमगढ़वा प्रखंड के ग्राम पंचायत सिंगासनी का है.
मामले का सारांश
वादी, श्रीमती सीता देवी ने वर्तमान मुखिया, श्रीमती अनिता सिंह के खिलाफ एक याचिका दायर की थी । सीता देवी का आरोप था कि वर्तमान मुखिया ने खुद को अनिता सिंह, पति-राजीव कुमार सिंह के रूप में पेश किया है, जो कि आंगनबाड़ी सेविका के पद पर कार्यरत थीं । वादी के अनुसार, चूंकि आंगनबाड़ी सेविका का पद लाभ का पद होता है, इसलिए बिहार पंचायत राज अधिनियम-2006 की धारा 136(1)(घ) और धारा 135 के प्रावधानों के तहत, अनिता सिंह मुखिया का पद धारण करने के योग्य नहीं थीं । इसलिए, वादी ने प्रतिवादी को पद से हटाने की मांग की ।
सुनवाई और जाँच के मुख्य बिंदु
प्रतिनिधित्व: वादी की ओर से अधिवक्ता अवनीश कुमार और एस.बी.के. मंगलम ने पक्ष रखा, जबकि प्रतिवादी का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता अंशुल ने किया ।
पहचान की पुष्टि:
आयोग ने दोनों पक्षों की सहमति से अनिता सिंह, पति-रंजीत सिंह (वर्तमान मुखिया) और अनिता सिंह, पति-राजीव सिंह (पूर्व आंगनबाड़ी सेविका) को पहचान पत्र के साथ पेश होने का आदेश दिया । 17.08.2023 को दोनों महिलाएं आयोग के समक्ष उपस्थित हुईं और अलग-अलग हस्ताक्षर किए । इस भौतिक उपस्थिति ने इस संदेह को पूरी तरह से खत्म कर दिया कि दोनों एक ही व्यक्ति हैं ।
जिला प्रशासन की रिपोर्ट:
जिला निर्वाचन पदाधिकारी, पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) ने जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिससे कई तथ्य सामने आए ।
दो अलग-अलग व्यक्ति:
रिपोर्ट में यह प्रमाणित हुआ कि अनिता सिंह, पति-रंजीत सिंह और अनिता सिंह, पति-राजीव सिंह दो अलग-अलग व्यक्ति हैं। दोनों के आधार कार्ड और यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर भी अलग-अलग हैं ।मतदाता सूची:
दोनों महिलाओं के नाम मतदाता सूची में अंकित हैं । मुखिया अनिता सिंह, पति-रंजीत सिंह का नाम मतदाता सूची के क्रमांक 392 पर दर्ज है ।
प्रमाण पत्रों का दुरुपयोग:
रिपोर्ट के अनुसार, अनिता सिंह, पति-राजीव कुमार सिंह ने आंगनबाड़ी सेविका का पद प्राप्त करने के लिए निर्वाचित मुखिया, अनिता सिंह, पति-रंजीत सिंह, के प्रमाण पत्रों का उपयोग किया था । उन्होंने इस पद से मिलने वाला मानदेय भी अपने बैंक खाते में प्राप्त किया । इस अवैध नियुक्ति का खुलासा होने पर उन्होंने प्राप्त की गई सारी राशि सरकारी खजाने में वापस कर दी ।
आयोग का फैसला
आयोग ने वादी के सभी दावों को असत्य पाया ।
व्यक्ति की पहचान:
आयोग ने यह स्पष्ट किया कि दोनों अनिता सिंह अलग-अलग व्यक्ति हैं, जैसा कि जिला प्रशासन की रिपोर्ट और दोनों की भौतिक उपस्थिति से प्रमाणित हुआ ।
मतदाता सूची में नाम:
यह दावा कि निर्वाचित मुखिया का नाम मतदाता सूची में नहीं था, भी गलत पाया गया, क्योंकि उनका नाम सूची में क्रमांक 392 पर अंकित था ।आंगनबाड़ी सेविका का पद: जिला पदाधिकारी की रिपोर्ट ने यह भी प्रमाणित किया कि निर्वाचित मुखिया अनिता सिंह, पति-रंजीत सिंह, कभी भी आंगनबाड़ी सेविका के पद पर कार्यरत नहीं रहीं । इन सभी तथ्यों के आधार पर, आयोग ने वादी के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया ।
आगे की कार्रवाई के निर्देश
आयोग ने जिला निर्वाचन पदाधिकारी (पंचायत)-सह-जिला पदाधिकारी, पूर्वी चंपारण को निम्नलिखित कार्रवाई के लिए निर्देश दिए:
तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी और तत्कालीन मुखिया, ग्राम पंचायत सिंगासनी के खिलाफ कानूनी और विभागीय कार्रवाई शुरू करने के लिए एक स्वतंत्र जाँच शुरू की जाए, क्योंकि उनकी भूमिका नियमों के अनुसार नहीं पाई गई । अनिता सिंह, पति-राजीव कुमार सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश का मामला प्रमाणित होता है। भले ही उन्होंने राशि वापस कर दी हो, उन्होंने जानबूझकर दूसरे व्यक्ति के प्रमाण पत्रों का उपयोग कर पद प्राप्त किया था । इसलिए, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए । इस आदेश के साथ, इस मामले को निष्पादित कर दिया गया है ।

