“मुख्यमंत्री की सौग़ात: बिहार युवा आयोग से नौजवानों को मिलेगा नया मुक़ाम”
नशा, बेरोज़गारी और हताशा से लड़ाई में नई ढाल बनेगा बिहार युवा आयोग”
घर बैठे मिलेगी नौकरी की खबर
बिहार की मिट्टी में उम्मीद के बीज हमेशा से ही गहरे बोए जाते रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी यहां के युवाओं को सही दिशा और मंच मिला, इन्होंने अपनी मेहनत और हुनर से देश-दुनिया में नाम रोशन किया। ऐसे में आज जब बिहार कैबिनेट ने बिहार युवा आयोग के गठन को मंजूरी दी है, तो यह महज एक सरकारी आदेश नहीं, बल्कि लाखों युवाओं की आंखों में पल रहे उन सपनों को नए पंख देने जैसा कदम है, जो अक्सर संसाधनों और अवसरों के अभाव में अधूरे रह जाते थे।
क्यों खास है बिहार युवा आयोग?
इस आयोग की बनावट ही बताती है कि यह सचमुच युवाओं का प्रतिनिधि मंच होगा—जहाँ एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और सात सदस्य होंगे, जिनकी अधिकतम उम्र 45 साल होगी। यानी खुद युवा ही युवाओं की नब्ज़ समझेंगे और उनकी ज़रूरतों को सरकार तक पहुंचाएंगे। इससे नीति निर्माण में वही लोग शामिल होंगे जो जमीनी सच्चाइयों को जी चुके हैं, किताबों या रिपोर्ट से नहीं, अपनी जिंदगी की लड़ाइयों से।
क्या बदलेगा इससे?
सबसे पहले, रोजगार की चिंता कुछ कम होगी। आयोग इस बात की निगरानी करेगा कि राज्य के युवाओं को बिहार में निजी क्षेत्र की नौकरियों में प्राथमिकता मिले। राज्य से बाहर पढ़ने या काम करने वाले बिहार के युवाओं के हितों की भी ये रक्षा करेगा। यानी अब सिर्फ सरकारी नौकरियों की कतार में खड़े रहना मजबूरी नहीं रहेगी—निजी क्षेत्र की संभावनाओं को भी युवाओं के लिए खोला जाएगा।
युवाओं को बेहतर शिक्षा की गारंटी भी
सरकार के अलग-अलग विभागों के साथ मिलकर यह आयोग शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए ठोस योजनाएँ बनाएगा। इसका मतलब है कि डिग्री सिर्फ कागज का टुकड़ा न बनकर सचमुच हुनर का प्रमाणपत्र बनेगी।
नशा और सामाजिक बुराइयों पर प्रहार
यह आयोग शराब और अन्य नशे की लत को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाएगा, सरकार को सुझाव देगा और युवाओं को गलत राह पर जाने से बचाएगा। यह सिर्फ नियम बनाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सोच को बदलने की कोशिश करेगा।
युवाओं को क्या मिलेगा?
- रोजगार में प्राथमिकता: प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में बिहार के युवाओं को तरजीह।
- सीखने के नए मौके: स्किल डेवलपमेंट, ट्रेनिंग और स्टार्टअप को बढ़ावा।
- सशक्त आवाज़: अपनी ज़रूरतें और समस्याएँ सीधे सरकार तक पहुँचाने का मंच।
- सामाजिक सुरक्षा: राज्य से बाहर पढ़ने या काम करने वाले युवाओं के हितों की रक्षा।
- नशामुक्ति और जागरूकता: सामाजिक बुराइयों से बचाव के लिए कार्यक्रम।
अंत में
बिहार युवा आयोग का गठन एक आश्वासन है—कि सरकार सिर्फ भाषणों में नहीं, नीति और व्यवस्था में भी युवाओं को केंद्र में रखकर सोच रही है। यह आयोग न सिर्फ युवाओं को सशक्त बनाएगा, बल्कि एक नए बिहार की तस्वीर गढ़ेगा—जहां युवा मजबूरी में नहीं, अपने सपनों के लिए घर छोड़ें; जहां हुनर सिर्फ डिग्री में नहीं, जीवन की ऊंचाइयों तक उन्हें ले जाए।
युवाओं के लिए यह नई राह है—और यक़ीन मानिए, जब रास्ता सही होता है तो मंज़िलें भी खुद बुलाने लगती हैं!

