PATNA. बिहार के मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में एमबीबीएस कोर्स पढ़ाने की तैयारी शुरू हो गयी है. स्वास्थ्य विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है. विभाग की कोशिश है कि नये सत्र में बिहार के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पढ़नेवाले स्टूडेंट को हिंदी माध्यम से पूरा सिलेबस पढ़ाया जाये. अपनी मातृभाषा में विद्यार्थियों को कोर्स की समझने में आसानी होगी.

राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई कराने को लेकर बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के वीसी डा(प्रो) एसएन सिन्हा की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जा चुका है. इस कमेटी के सचिव राज्य स्वास्थ्य समिति के मानव संसाधन प्रभारी राजेश कुमार को बनाया गया है जबकि इसके अन्य सदस्यों में निदेशक प्रमुख (नर्सिंग) डा सुनील कुमार झा, अपर निदेशक चिकित्सा शिक्षा डा अलका सिन्हा, पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रिंसिपल, नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रिसिंपल, श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल,मुजफ्फरपुर के प्रिंसिपल और बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के डीन डॉ मिथिलेश प्रताप शामिल हैं.

इस उच्चस्तरीय समिति को बिहार में हिंदी माध्यम में एमबीबीएस कोर्स लागू करने की कार्ययोजना तैयार करना है. साथ ही हिंदी माध्यम में एमबीबीएस कोर्स के बुक का चयन किया जाना है. हिंदी माध्यम के बुक की उपलब्धता के संबंध में रिपोर्ट तैयार करना है और राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में पाठ्यक्रम लागू करने के लिए अनुकूल वातावरण के लिए निर्माण कार्य योजना तैयार करना है.

बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में इसकी पहली बैठक हो चुकी है. कमेटी ने सरकार द्वारा सौंपे गये कार्यों पर तेजी से पहल शुरू कर दी है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि कमेटी की पूरी कोशिश है कि इस सत्र के पहले सारी तैयारियां पूरी कर ली जाये जिससे कॉलेजों में बच्चों के पहुंचने के पहले पुस्तकें और कोर्स के सिलेबस हिंदी में तैयार रहे.

बिहार देश में मध्यप्रदेश के बाद दूसरा राज्य है जहां पर हिंदी माध्यम से एमबीबीएस की पढ़ायी की पहल की गयी है. इस सत्रे से अगर हिंदी कोर्स लागू होता है तो बिहार देश का दूसरा हिंदी प्रदेश बन जायेगा.

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