मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट का बड़ा फैसला
बिहार सरकार ने राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में विशेष अधिकार देने की दिशा में बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह तय किया गया कि महिलाओं को मिलने वाला 35 फीसदी क्षैतिज आरक्षण अब सिर्फ बिहार की स्थायी निवासी महिलाओं को ही मिलेगा।
दूसरे प्रदेश की महिलाएं अनारक्षित श्रेणी में होंगी
इस फैसले के बाद अब उत्तर प्रदेश, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली सहित अन्य राज्यों की महिलाएं इस आरक्षित श्रेणी के तहत नौकरी की दावेदार नहीं होंगी। वे सिर्फ सामान्य कोटे में ही आवेदन कर सकेंगी।
क्या है फैसला?
सरकारी नौकरी में महिलाओं को मिलने वाला क्षैतिज आरक्षण पहले सभी राज्यों की महिला अभ्यर्थियों के लिए खुला था। अब यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इस आरक्षण का लाभ सिर्फ बिहार डोमिसाइल वाली महिलाओं को ही मिलेगा।
सरकार के आधिकारिक बयान की मानें तो…
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि इस फैसले से राज्य की महिलाओं को नौकरी में ज्यादा अवसर मिलेंगे। अब तक बाहर की महिलाएं बड़ी संख्या में इस आरक्षण का लाभ लेती थीं, जिससे बिहार की बेटियों के लिए सीटें सीमित हो जाती थीं।
बिहार की बेटियों को मिलेगा मजबूत मंच
फैसले का सबसे बड़ा असर उन छात्राओं और महिला अभ्यर्थियों पर पड़ेगा जो वर्षों से बिहार में रहकर परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। यह कदम उनके लिए एक तरह से सुरक्षा कवच और समान अवसर का वादा है। गया की रहने वाली पूजा कुमारी कहती हैं, “पहले लगता था हम मेहनत करें और फायदा कोई और ले जाए। अब हमें भरोसा है कि हमारी मेहनत का फल यहीं मिलेगा।”
फैसले की पृष्ठभूमि
बिहार की जनसंख्या में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 50 प्रतिशत है। राज्य सरकार ने पहले से ही पुलिस भर्ती, शिक्षक नियोजन और विभिन्न आयोगों की परीक्षाओं में महिला आरक्षण लागू कर रखा है। पिछले वर्षों में देखा गया कि बाहरी राज्यों की महिलाएं भी आरक्षण के तहत बड़ी संख्या में चयनित हो रही थीं।
क्या बदलेगा?
राज्य की महिलाओं के लिए नौकरियों में प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता बढ़ेगी।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह फैसला एक बड़ा मोड़ साबित होगा।
डोमिसाइल प्रमाण पत्र की प्रक्रिया और जांच अब ज्यादा अहम होगी।

