आरक्षण का मामला- तांती-ततवा अनुसूचित जाति से बाहर

बिहार में आरक्षण का मामला गंभीर होता जा रहा है. पटना हाइकोर्ट ने पहले राज्य सरकार की नौकरियों में  75 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर 65 प्रतिशत पर करने का आदेश दिया है. इधर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बाद बिहार की दो  जातियों को भी राज्य में दिये जा रहे अनुसूचित जाति के कोटे से बाहर करने का आदेश दे दिया है. बिहार की तांती व ततवा जाति को राज्य में अनुसूचित जाति का आरक्षण दिया जा रहा था. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मामला चला गया.

तांती-ततवा जाति इबीसी कोटि में थी

बिहार में रहनेवाली जाति तांती-ततवा पहले अत्यंत पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में थी. इसको राज्य सरकार ने एक जुलाई 2015 में एक संकल्प जारी किया. नये संकल्प में तांती-ततवा जाति को इबीसी कोटे से हटाकर अनुसूचित जाति के क्रमांक 20 में पान-स्वामी जाति के साथ जोड़ दिया था. नये संकल्प के बाद तांती-ततवा जाति के लोगों का जाति प्रमाण पत्र अनुसूचित जाति का मिलने लगा था. इतना ही नहीं इन जाति के लोगों द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं में नामांकन के अलावा सरकारी नौकरी में भी एससी वर्ग का लाभ उठाने लगे थे.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश 

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा पहली जुलाई 2015 को बिहार सरकार द्वारा जारी संकल्प को निरस्त कर दिया. डा भीमराव अंबेडकर विचार मंच और आशीष रजक की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रमी कोर्ट ने कहा कि तांती-ततवा को एससी का दिया गया लाभ वापस लिया जाये. दोनों जाति के जिन लोगों को आरक्षण का लाभ एसीसी कोटि में मिला है उनको इबीसी कैटेगरी में समायोजित किया जाये. कार्ट ने कहा कि संसद द्वारा बनाये कानून के अलावा राज्यों या केंद्र के पास संविधान के अनुच्छेद 341 में प्रकाशित अनुसूचित जातियों की सूची में छेड़छाड़ करने की शक्ति नहीं हैं.

 

 

 

Spread the love