पूरे देश में जाति और जातिगत गणना को लेकर राजनीतिक मे उफान आया हुआ है. मंडल कमीशन की घोषणा के बाद कई राजनीतिक दलों ने जाति के खेल से सत्ता की फसल काटने में सफलता पायी है. जाति की फसल काटने को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनावों में तैयारी शुरू हो गयी है. इस राजनीति फसल में वैसे बच्चे भी शामिल नहीं हैं जो किसी प्राकृतिक आपदा के कारण अनाथ और बेसहारा हो गये हैं. ऐसे अनाथ बच्चों की जाति का निर्धारण, जाति का प्रमाण पत्र जारी करना और उनका आवासीय प्रमाण पत्र जारी करने जैसी समस्याएं थी. बिहार सरकार ने अनाथ बच्चों की जाति निर्धारण कर जातिगत प्रमाण पत्र जारी करने और आवासी प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश सभी कार्यालयों को दिया है. क्या ऐसे बच्चों को पढ़ायी और नौकरी में आरक्षण का लाभ मिलेगा.
अनाथ बच्चों को किसी भी आरक्षण का लाभ नहीं
अनाथ बच्चों को शायद ही ईश्वर के अभिशाप से छुटकारा मिलेगा. अनाथालय या उसकी जैसी संस्थाओं में रहनेवाले अनाथ और बेसहरा बच्चे अगर नौजवान या व्यस्क होते हैं तो उनकी जाति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग की नहीं बनेगी. सरकार ने ऐसे अनाथ और बेसहरा बच्चों के व्यस्क होने पर उनकी जाति का निर्धारण सामान्य वर्ग के तहत करने का प्रावधान किया है. एक बार बचपन में अनाथ हुए तो ताउम्र आरक्षण के लाभ से वंचित रहेंगे और सरकार द्वारा सामान्य कोटि के अंतर्गत बने रहेंगे.
अनाथआश्रम के पते से बनेगा अनाथ बच्चों का आवासीय प्रमाण
सरकार ने अनाथ बच्चों के आवासीय प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर भी नियम तैयार किया है. अनाथालय में रहनेवाले बच्चों को यदि आवास का प्रमाण पत्र की आवश्यकता है तो इसे अनाथालय के पते पर ही आवास प्रमाण प्तर जारी किया जायेगा. अनाथ बच्चा जिस आश्रम में रहता है उसका पता उसके आवासीय पते में अंकित किया जायेगा.
गोद लेने पर अनाथ बच्चे की जाति हो जायेगी निर्धारित
अनाथालय में पलनेवाले अनाथ और बेसहारा बच्चे को गोद लेने के बाद उसकी जाति का अलग से निर्धारण होगा. गोद लेने के बाद बच्चे की जाति भी निर्धारित हो जायेगी. प्रावधान के अनुसार अगर अनाथ बच्चे को किसी परिवार या दंपत्ति द्वारा गोद लिया जाता है तो उस बच्चे की जाति का निर्धारण गोद लेनेवाले परिवार के पुरुष सदस्य की जाति के आधार पर निर्धारित की जायेगी. इतना ही नहीं गोद लेने वाले दंपत्ति के आवासीय पते के आधार पर गोद लिये गये बच्चे का आवासीय प्रमाण पत्र भी जारी किया जायेगा.
अनाथालय छोड़ चुके व्यस्क की जाति व पता भिन्न होगा
सरकार ने वैसे अनाथ व बेसहारा बच्चों की जाति व आवास प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया है जिन्होंने वयस्क होने पर अनाथालय को छोड़ दिया है. अनाथालय छोड़ चुके व्यस्क सदस्य जो गोद लिये जानेवाले बच्चों से अलग हैं, उनकी जाति भी सामान्य कोटि के तहत निर्धारित की जायेगी. ऐसे व्यस्क अनाथ बच्चे की आय और उसका आवासीय प्रमाण पत्र उनके खुद की आय और यथास्थिति जहां पर वह रहते हैं वहां का अस्थायी अथवा स्थायी आवासीय प्रमाण पत्र वर्तमान आवास के आधार पर जारी किया जायेगा.
अनाथ बच्चे को किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं
एक बार अनाथ जन्म लेनेवाले बच्चे की जाति को सामान्य कोटि का माना जायेगा. इनको किसी प्रकार से सामाजिक और शेक्षणिक रूप से कमजोर वर्ग में शामिल नहीं किया जायेगा. आरक्षण का लाभ देश में सामाजिक और शेक्षणिक रूप से कमजोर वर्गों को दिया जाता है. सरकार अनाथ बच्चों का सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति को सामान्य वर्ग के समान मानती है. इसी का परिणाम है कि उनको किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा. सौभाग्यशाली वहीं अनाथ बच्चे होंगे जिनको किसी माता-पिता ने गोद ले लिया है. ऐसे बच्चों की जाति भी निर्धारित हो जायेगी और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंतपिछड़ा वर्ग और पिछड़ा वर्ग के पिता होने पर उनको आरक्षण का लाभ भी मिलेगा.
पढ़ाई से लेकर रोजगार तो करना होगा चुनौतियों का समाना
अनाथ और बेसहारा बच्चों को किसी स्कूल-कॉलेज से लेकर रोजगार तक चुनौतियों का सामना करना होगा. अनाथ बच्चे सामान्य कोटि में आते हैं जिसके कारण उनको किसी स्कूल-कॉलेज में दाखिला लेने में भी बड़ी चुनौती का समाना करना पड़ेगा. उनको किसी भी आरक्षित कोटि का लाभ नहीं मिलेगा. इसी प्रकार की स्थिति रोजगार प्राप्त करने में भी बनी रहेगी. रोजगार-नौकरी में भी अनाथ बच्चों को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा.