यह जानकार हैरानी हो सकती है कि मच्छर के एक डंक से मरीज के शरीर का वजन 50 किलोग्राम बढ़ सकता है. मच्छर के डंक से पीड़ित ऐसे हजारों मरीज समाज में जीवन यापन कर रहे हैं. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें मच्छर के एक डंक से पैर का वजन 50 किलोग्राम और हाइड्रोसील का वजन 20 किलोग्राम बढ़ सकता है. एक मच्छर का शिकार व्यक्ति ताउम्र तक शरीर का यह वजन ढ़ोने पर विवश होता है.
क्यूलेक्स मच्छर के काटने से बढता है अधिक वजन
भारत में क्यूलेक्स मच्छर पाया जाता है. यहीं एक मात्र ऐसा मच्छर है जिसके काटने के बाद पुरुषों के पैर का वजन 50 किलोंग्राम तक जबकि हाइड्रोसील का वजन 20 किलोग्राम से अधिक बढ़ जाता है. महिलाओं के पैर का वजन और स्तन का वजन भी असामान्य रूप से बढ़ जाता है. क्यूलेक्स मच्छर के काटने के बाद इंसानों में फाइलेरिया की बीमारी होती है. इसमें हाथीपांव, हाइड्रोसील में सूजन और स्तन में सूजन जैसी बीमारी होती है जो आजीवन रहती है.
भारत में पाये जानेवाले मच्छरों की प्रजाति
विशेषज्ञों के अनुसार विश्व में मच्छरों की 3500 प्रजातियां होती है. हालांकि भारत में इनकी संख्या कम है. भारत में पाये जानेवाले मच्छर खतरनाक होते हैं. इनके एक डंक से मरीज की मौत हो सकती है. साथ ही भारत में पाये जानेवाले मच्छरों के द्वारा डंक मारने का अलग-अलग समय होता है. मच्छरों की प्रकृति है कि कोई सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद ही डंक मारता है जबकि कुछ मच्छर दिन में ही डंक मारते हैं.
एशियन टाइगर मच्छर होता है अधिक घातक
एशियन टाइगर मच्छर अधिक घातक होता है. इसके काटने के बाद डेंगू जैसी घातक बीमारी फैलती है. आमतौर पर एशियन टाइगर मच्छर के शरीर पर चांदी जैसी धारी होती है जिसे आसानी से पहचाना जा सकता है. साधारण भाषा में इसे एडिज मच्छर भी कहा जाता है. यह मच्छर सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के पहले डंक मारता है. लेडीज एशियन टाइगर मच्छर ही डेंगू को फैलाती है और सितंबर माह इसके लिए सबसे उपयुक्त समय होता है.
सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद एनोफिलिस करती है हमला
भारत में मच्छरों के डंग से कई प्रकार की बीमारियां फैलती हैं. इसी में एक बीमारी है एनोफिलिज मच्छर के काटने के कारण होती है. इसकी 430 प्रजातियां हैं, जिसमें सिर्फ 30-40 प्रजाति के मच्छर ही बीमारी फैलाते हैं. मदा एनोफिलिज मच्छर के डंक से मलेरिया की बीमारी होती है. मदा एनोफिलज मच्छर का चरित्र ऐसा है कि वह सूर्योदय के पहले डंक मारती है या सूर्यास्त के तुरंत बाद. यह अपने अंडे को पालने के लिए डंक मारती है और मनुष्य में मलेरिया की बीमारी होती है.
बालू मक्खी के डंक का समय मध्य रात्रि
कालाजार की बीमारी देश के कुछ राज्यों में है. कालाजार को फैलानेवाली सैंड फ्लाइ (बालू मक्खी) होती है. इस मच्छर का चरित्र है कि यह सूर्यास्त के बाद मध्यरात्रि और सूर्योदय के पहले डंक मारती है. अब सैंड फ्लाइ का प्रकोप देश में कम हुआ है.
विश्व मच्छर दिवस 20 अगस्त को
मलेरिया के मच्छर एनाफिलिज की खोज 20 अगस्त, 1897 को ब्रिटिश चिकित्सक सर रोनाल्ड रॉस द्वारा किया गया था. इसी कारण हर 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है.