बिहार में शहर का हर कोना इन दिनों हरियाली की आभा से जगमगा उठा है. सावन की पहली सोमवारी से पहले ही बाजारों में सुहागनों की भीड़ इस बात की गवाही दे रही है कि शृंगार और भक्ति का महीना पूरे रंग में आ गया है. दुकानों पर हरे रंग की चूड़ियां , नेल पेंट, बिंदी और मेंहदी की दरीददारी जोर पकड़ रही है. शृंगार प्रेमी महिलाओं की चहल-पहल बाजारों को जैसे सावन की हरियाली में रंग दिया है.

हर रंग में हरा रंग है खास

सावन का मतलब सिर्फ भक्ति नहीं, बल्कि शृंगार का त्योहार भी है. महिलाएं परंपरिक हरे रंग की कांच की चूड़ियों से लेकर आधुनिक डिजाइन वाली लाख की चूड़ियां, नकाशीदार कड़े और सिंदुर तक खरीद रहीं है. शहर के प्रमुख बाजारों में जैसे जैसे सावन का रंग चढ़ रहा है वैसे रंग की चमक बढ़ती जा रही है.

हरी चूड़ियों की मांग सबसे अधिक

दूकानदारों का कहना है कि इस बार सादी हरी चूड़ियों की मांग सबसे अधिक है, जो 30 रुपये प्रति दर्जन से शुरू हो रही है. जबकि लाख के कड़े 80 रुपये से लेकर 120 रुपये के रेंज में धड़ल्ले से बिक रहे हैं. राजस्थान से आयी लाख की चूड़ियां 250 रुपये से लेकर 500 रुपये तक में आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.

मेंहदी की खुसबू से महग उठे बाजार

मेंहदी के शौकीनों की भीड़ ने दुकानों को गुलजार कर रखा है. इस बार पारंपरिक मेंहदी डिजाइनों की मांग ज्यादा है. पटना के दुकानदारों के अनुसार 10 रुपये से 20 रुपये तक के कोन खूब बिक रहे हैं. महिलाएं हाथों पर बेल-बूटों से सजी खूबसूरत मेंहदी लगवाने के लिए कतार में हैं.

शृंगार में दिख रही है परंपरागत और ट्रेंड का मेल

शृंगार की दुकानों पर न सिर्फ पारंपरिक सामान बिक रहा है बल्कि ट्रेंडी विकल्प भी उपलब्ध है. हरे नेल पेंट, चमकदार बिंदी और स्टोन जड़े सिंदुर की डिब्बियां महिलाओं को खूब भा रही हैं. दुकानदारों ने सावन को देखते हुए विशेष ग्रीन थीम कलेक्शन भी निकाला है, जिससे महिलाओं को एक ही जगह पर पूरे शृंगार की चीजें मिल रही हैं.

बाजारों की रौनक बनी महिलाओं की खरीददारी

बाजारों में उमड़ी भीड़, दुकानों के बाहर सजावट और ग्राहकों की खनकती हंसी से माहौल पूरी तरह से सावनमय हो गया है. हर कोई तैयार है आने वाली पहली सोमवारी के लिए-चाहे वो भक्ति हो या शृंगार. सावन का यह सुहाना मौसम न केवल मन को भाता है, बल्कि यह महिलाओं के शृंगार और दुकानदारों की बिक्री में भी नयी ऊर्जा भर देता है. और जब बात हरे रंग की चूड़ियों, मेंहदी की भीनी महक और शृंगार की पूरी थाली की -तो सावन हर साल एक नये उत्साह की सौगात बन जाता है.
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