तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई के प्रदेश अध्यक्ष पद से त्यागपत्र की चर्चा जोरों पर है. बताया जा रहा है कि वे खुद पद से त्यागपत्र देंगे या यह एक महज राजनीतिक शतरंज हो सकता है. तमिलनाडु में भाजपा के चेहरे के रूप में उभरे एक दक्षिण भारत के नेता की छवि को लेकर कई तरह की बात राजनीति में चल रही है. वह एक तेज तर्रार नेता हैं, एक निडर वक्ता हैं और उनकी पर्सनालिटी ऐसी है जो दक्षिण के परंपरागत राजनीति को उसके दायरे से बाहर ले जाने की कोशिश कर रही है. हाल के दिनों में विवादों के कारण अन्नामलाई का नेतृत्व सवालों के घेरे में आ गया है. क्या पार्टी उनको हटाने पर विचार कर रही है? या इसे एक राजनीतिक तूफान के रूप में देखा जा रहा है.

अन्नामलाई पार्टी के लिए कितने जरूरी

तमिलनाडु में भाजपा की कमान संभालने के बाद अन्नामलाई ने राजनीति में एक नया तेवर लाने की कोशिश की. भाजपा को जहां उत्तर भारतीयों की पार्टी मानी जाती है उसको उन्होंने तमिलनाडु में प्रमाणिक तमिल नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. वे द्रविण राजनीति के परंपरागत शैली को चुनौती दे रहे हैं. तमिल और हिंदुत्व गौरव की रणनीति के तहत पार्टी को मजबूत कर रहे हैं. कई भाजपा नेताओं को लगता है कि वे पार्टी के समावेशी राजनीति को कमजोर कर रहे हैं.

विवादों का सिलसिला कब शुरू हुआ

अन्नामलाई के बारे में बताया जाता है कि  उनके कारण तमिलनाडु में भाजपा की परंपरागत सहयोगी रही एआइएडीएमके नाराज हो गयी है. अन्नामलाई के तीखे बयानों के कारण उससे गठबंधन टूट गया. अन्नामलाई पर नफरत फैलानेवाले भाषणों पर भी आपत्ति के बाद मामला दर्ज हुआ. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ ट्रायल कोर्ट में कार्रवाई पर रोक लगा दी.

खुद को कोड़े मारने की घटना

बात दिसंबर 2024 की है जब अन्नामलाई ने खुद को कोड़े मारने और चप्पल नहीं पहनने का शपथ लिया. यह शपथ उनका इसलिए था कि जब तक डीएमके सत्ता से नहीं हटती तब तक वे इस पर अमल करेंगे. उन्होंने इसे तमिल परंपरा से जोड़ते हुए विरोध का अनोखा तरीका अपनाया.

दुविधा में भाजाप

भाजपा को यह दुविधा है कि उनको अध्यक्ष पद से हटाती है तो इसके राजनीतिक संकेत जायेगा पार्टी तमिलनाडु में अपने आक्रामक रणनीति से पीछे हट रही है. इससे कार्यकर्ताओं को मनोबल गिर सकता है. यह उनको अधिक समय तक पद पर रखती है तो नये विवादों का सामना कर पड़ सकता है.

गौंडर समुदाय की भूमिका

तमिलनाडु की गौंडर समुदाय पश्चिमी कोंगू क्षेत्र में प्रभावशाली है. अन्नामलाई इसी समुदाय से आते हैं. साथ ही वे कोंगू क्षेत्र के भी रहनेवाले हैं. एआइएआइडीएमके के साथ संभावित गठबंधन होने पर उनकी जगह दूसरे को प्रदेश की कमान सौंपी जायेगी. एआइएडीएमके नेता एडप्पादी के पलानास्वामी भी गौंडर समुदाय से आते हैं और वे भी कोंगू क्षेत्र के रहनेवाले हैं. ऐसे में गठबंधन होने पर दोनों पार्टियों के बीच जुडने में रास्ता आसान हो जायेगा.

दौंड में कौन नेता

अन्नामलाई की विदाई के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कौन-कौन नेता शामिल हैं. चर्चा में है कि भाजपा के विधायक नैनार नागेंद्रन दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं. तिरिनेलवेली क्षेत्र के वे लोकप्रिय नेता हैं. पहले वे अन्नाद्रमुक में थे. साथ ही नागेंद्रन थेवर समुदाय से आते हैं. दक्षिण के जिलों में थेवर समुदाय का प्रभाव है.

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