लोकसभा चुनाव में एक सांसद चुनने में सरकार का 21 करोड़ 38 लाख खर्च हुआ है. बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव कराने पर करीब 866 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान हैं. लोकसभा चुनाव लड़नेवाले प्रत्याशियों का चुनावी खर्च इसमें शामिल नहीं है. प्रत्याशियों की राशि जोड़ने पर प्रति लोकसभा चुनावी खर्च की राशि कहीं और अधिक हो जायेगी.
लोकसभा 2024 में खर्च हुए हैं 824 करोड़
बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 को संपन्न कराने में 824 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. पिछले पांच सालों की तुलना में खर्च में करीब 244.58 करोड़ की वृद्धि हुई है. लोकसभा चुनाव 2019 का चुनाव कराने में सरकार का कुल 579.42 करोड़ खर्च हुआ था. हालांकि अभी तक वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र और पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र में होनेवाले खर्च रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है.
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में लोकसभा चुनाव 2024 में 77462 बूथों पर मतदान कराया गया है. इस पर कुल 824 करोड़ खर्च हुआ है.
विधानसभा क्षेत्रों पर औसतन 2.92 करोड़ रुपये खर्च हुए
वाल्मीकिनगर और पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र के चुनावी खर्च को छोड़कर शेष 38 लोकसभा क्षेत्र के कुल 234 विधानसभा क्षेत्रों पर औसतन 2.92 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. अभी दो लोकसभा क्षेत्रों को नौ विधानसभा क्षेत्रों के चुनावी खर्च आने पर राशि में और वृद्धि हो जायेगी. पिछले लोकसभा चुनाव से इस बार के लोकसभा चुनाव में औसतन 67 लाख प्रति विधानसभा में चुनाव की राशि में वृद्धि दर्ज की गयी है.
16 जिलों ने औसत से कम राशि खर्च किया
रिपोर्ट में कहा गया है कि विधानसभा वार औसत खर्च 2.92 करोड़ से कम करनेवाले 16 जिले हैं जिन्होंने औसत से कम राशि खर्च की है. इसमें शेखपुरा, बांका, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, सारण, कटिहार, सीतामढ़ी, वैशाली, अरवल, नालंदा, कैमूर, भोजपुर, समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी शामिल हैं. इन जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी को वित्तीय अनुशासन के लिए मुख्य सचिव ने प्रशंसा पत्र दिया है.
क्यों बढ़ा चुनावी खर्च
रिपोर्ट में बताया गया है प्रति विधानसभा चुनावी राशि में वृद्धि की मुख्य वजह मतदान कर्मियों के मानदेय में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि, अधिग्रहित वाहनों के मुआवजे में 25-40 प्रतिशत की वृद्धि, वाहन ईंधन दर में 50 प्रतिशत से अधिक वृद्धि, मतदान केंद्रों की संख्या में आठ प्रतिशत की वृद्धि, अर्धसैनिक बलों की प्रतिनियुक्ति में 70 प्रतिशत की वृद्धि, वेबकास्टिंग वाले मतदान केंद्रों में 400 प्रतिशत की वृद्धि, मतगणना और चेकपोस्ट स्थलों पर शतप्रतिशत सीसीटीवी की स्थापना, पांच वर्षों के अंतराल के दौरान सभी सामग्री की दरों में वृद्धि, मतदान दल के डिस्पैच केंद्रों पर अलग-अलग टेंट शामियाना की व्यवस्था और 2019 की अपेक्षा अधिक गर्मी में चुनाव कराने को लेकर टेंट की व्यवस्था प्रमुख कारण है.