पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) की शुरुआत 25 फरवरी 1925 को ‘प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज’ के नाम से हुई थी। पहले प्राचार्य लेफ्टिनेंट कर्नल एच.आर. डटन थे। उन्होंने 1925 से 1930 तक काम किया और इस दौरान मेडिकल शिक्षा को बेहतर बनाने में बहुत मदद की। लेफ्टिनेंट कर्नल डटन भारतीय चिकित्सा सेवा (आई.एम.एस.) से थे। ये एक प्रकार की सैन्य चिकित्सा सेवा थी। उनके पास चिकित्सा शिक्षा और प्रशासन का काफी अनुभव था, जिससे वो इस कॉलेज के प्राचार्य बनने के लिए एकदम सही थे। तब इस कॉलेज का नाम प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज था. उनकी तस्वीर आज भी पीएमसीएच के प्राचार्य कक्ष की शोभा बढ़ा रही है.

उनके योगदान क्या थे

पाठ्यक्रम में सुधार

डटन ने चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम को नया और बेहतर बनाया। उन्होंने इसे आधुनिक मेडिकल पद्धतियों के साथ जोड़ा। इससे छात्रों को ताजा जानकारी मिली और कॉलेज को शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नाम मिला।

इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास

उन्होंने कॉलेज का ढांचा सुधारने के लिए बहुत काम किए। उनके समय में नई इमारतें, प्रयोगशालाएं और पुस्तकालय बने। इससे छात्रों को अच्छी शिक्षा के लिए बेहतरीन सुविधाएं मिलीं।

अनुसंधान को बढ़ावा

डटन ने चिकित्सा अनुसंधान को प्रोत्साहित किया। उन्होंने शिक्षकों और छात्रों को शोध करने के लिए प्रेरित किया। इससे कॉलेज में नई खोजों का माहौल बना।

छात्र सहायता कार्यक्रम

उन्होंने छात्रों की मदद के लिए कई कार्यक्रम चलाए। इनमें छात्रवृत्तियाँ और वित्तीय सहायता शामिल थीं। इससे कई गरीब लेकिन प्रतिभाशाली छात्रों को अच्छी शिक्षा मिली।

सामुदायिक जुड़ाव

डटन ने कॉलेज को समुदाय से जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने स्वास्थ्य पहल बढ़ावा दिया, जिससे छात्र और शिक्षक लोगों के पास जाकर उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं दे सके। इससे छात्रों को अनुभव हुआ और जनता को लाभ मिला। उनकी विचारधारा ने पटना मेडिकल कॉलेज को मजबूती दी। उनके द्वारा किए गए सुधारों से यह कॉलेज आज के प्रमुख मेडिकल संस्थानों में से एक बना। उनकी शिक्षण और छात्र विकास की सोच ने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल रखी है। आज, पटना मेडिकल कॉलेज उनकी नींव पर आगे बढ़ रहा है और स्वास्थ्य सेवा में बेहतरी की ओर बढ़ रहा है।

पीएमसीएच की वर्तमान स्थिति

पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल को पुराने गौरव की ओर लौटाने की कोशिश की जा रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कु्मार ने पीएमसीएच को विश्व के दूसरे बड़े अस्पताल के रूप में विकसित कर रहे हैं. इस अस्पताल को 5400 बेड बनाया जा रहा है. कॉलेज अपने स्थापना का 100 वां साल मना रहा है.
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