प्रशांत किशोर करगहर से लड़ेंगे चुनाव, किया बड़ा ऐलान
बिहार की सियासत में बड़ा उलटफेर हो गया है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने ऐलान किया है कि वे 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी जन्मभूमि करगहर सीट (रोहतास जिला) से मैदान में उतरेंगे। इस घोषणा के बाद राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को राहत मिल गयी है। पीके ने पहले तेजस्वी के चुनाव क्षेत्र राघोपुर से भी चुनाव लड़ने की बात की थी।
पीके ने कहा – “हर व्यक्ति को अपनी जन्मभूमि या कर्मभूमि से चुनाव लड़ना चाहिए।”
उनकी पार्टी ने दावा किया है कि वह इस बार सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
प्रशांत किशोर का सियासी सफर
मोदी की ऐतिहासिक जीत (2014) से लेकर कई मुख्यमंत्रियों की जीत में अहम भूमिका
I-PAC की स्थापना, चुनावी कैंपेनिंग का नया मॉडल दिया
2022 में जन सुराज पदयात्रा शुरू की – 5,000 किलोमीटर पैदल यात्रा
जनता से सीधे संवाद, मुद्दे – शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार
2024 में जन सुराज को पार्टी का दर्जा मिला और इसका चुनाव चिन्ह स्कूल बैग तय हुआ।
करगहर सीट का महत्व
करगहर विधानसभा सीट, सासाराम लोकसभा क्षेत्र में आती है। यह सीट ब्राह्मण बहुल और सामान्य वर्ग की है।
पहले कयास थे कि प्रशांत किशोर राघोपुर (तेजस्वी यादव का गढ़) से भी लड़ सकते हैं, लेकिन उन्होंने अंत में अपनी जन्मभूमि को चुना।
इस फैसले से तेजस्वी यादव को राहत मिली है, जबकि बिहार की सियासत में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं।
नीतीश कुमार पर निशाना
पीके ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरते हुए कहा –
“अगर नीतीश चुनाव लड़ते, तो मैं भी उनकी सीट से उतरता।”
इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।
बिहार चुनाव 2025 में असर
जन सुराज पार्टी ने सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की
75 मुस्लिम बहुल सीटों पर फोकस, जिससे एनडीए और महागठबंधन दोनों को चुनौती
सोशल मीडिया पर युवाओं में पीके की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है
हालिया ओपिनियन पोल में एनडीए की बढ़त दिखाई गई है, लेकिन जन सुराज को भी शुरुआती दौर में कुछ सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है।
विपक्ष का हमला
राजद और जेडीयू ने पीके को ‘वोटकटवा’ बताया है।
लेकिन युवाओं और सोशल मीडिया पर पीके की नई राजनीति और शिक्षा-रोजगार केंद्रित एजेंडा को काफी समर्थन मिल रहा है।
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर का करगहर से चुनाव लड़ना बिहार चुनाव 2025 का सबसे बड़ा सियासी मोड़ साबित हो सकता है।
अगर जन सुराज पार्टी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया तो यह बिहार की राजनीति में तीसरे मोर्चे की शुरुआत होगी।
अब सवाल है –
क्या पीके सच में बिहार की राजनीति बदल पाएंगे?
या फिर वे भी पारंपरिक वोट-बैंक की जंग में उलझकर रह जाएंगे?
इसका जवाब 2025 के नतीजों में छिपा है।

