
बिहार के ग्रामीण बैंकिंग ढांचे में एक ऐतिहासिक बदलाव करते हुए 1 मई 2025 से ‘उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक’ और ‘दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक’ का विलय कर ‘बिहार ग्रामीण बैंक’ की स्थापना की गई है। इस नवगठित बैंक के गठन का उद्देश्य है – ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को नई गति देना. इससे सभी जिलों में समान रूप से बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध होगी.
विलय का निर्णय: बैंकिंग सुधार की दिशा में बड़ा कदम
भारत सरकार, वित्त मंत्रालय (वित्तीय सेवा विभाग), भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड की सहमति के बाद यह विलय किया गया। यह निर्णय देशभर में ग्रामीण बैंकों के संचालन को सशक्त और व्यावसायिक रूप से अधिक सक्षम बनाने की रणनीति के तहत लिया गया है।
बैंकों का कवरेज और नेटवर्क
इस बैंक का राज्य के सभी 38 जिलों में नेटवर्क फैला है. इसकी कुल 2104 शाखाएं, जो पहले उत्तर और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंकों के तहत आती थीं । इस बैंक में 5 करोड़ से अधिक ग्रामीणों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने की क्षमता है.
बिहार ग्रामीण बैंक का लक्ष्य है: ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण
किसानों, महिला स्वयं सहायता समूहों, स्वरोजगार योजना लाभार्थियों को सुलभ ऋण सुविधा उपलब्ध कराना . साथ ही डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करना और ग्रामीण युवाओं को बैंकिंग में रोजगार के अवसर बढ़ाना है.
नई सुविधाएं और दृष्टिकोण
बैंक अब नए सिरे से डिजिटल बैंकिंग, मोबाइल एप, एटीएम नेटवर्क, किसान क्रेडिट कार्ड और माइक्रो फाइनेंस स्कीम्स पर फोकस करेगा। इसके साथ ही ग्राहक सेवा केंद्रों की संख्या बढ़ाकर पंचायत स्तर तक बैंकिंग पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रबंधन और संरचना
बिहार ग्रामीण बैंक का मुख्यालय पटना में स्थित होगा। बैंक का संचालन नाबार्ड की निगरानी में और प्रायोजक बैंक – पंजाब नेशनल बैंक द्वारा किया जाएगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
वित्तीय विश्लेषकों के अनुसार, “इस विलय से बिहार की ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली को मजबूती मिलेगी। इससे शाखाओं की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी और संचालन लागत में कटौती संभव होगी।”
निष्कर्ष
बिहार ग्रामीण बैंक का गठन सिर्फ दो संस्थाओं का विलय नहीं, बल्कि राज्य के ग्रामीण अंचलों में वित्तीय जागरूकता, समावेशन और विकास को गति देने वाला युगांतकारी कदम है। आने वाले वर्षों में यह बैंक राज्य की आर्थिक प्रगति का एक प्रमुख स्तंभ बनकर उभरेगा।