चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए की सीटों पर पूरा प्रभाव डाला था. उन्होंने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को दर्जनों सीटों पर जीत दर्ज कराने पर अंकुश लगा दी थी. इधर चिराग पासवान बिहार को कर्मभूमि भी बनाने का बयान दिया था. उनके इस बयान से लगता था कि वे मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर सकते हैं. बिहार के एनडीए की राजनीति में सोमवार का दिन महत्वपूर्ण रहा जब चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात की.
मुलाकात का चुनावी विश्लेषण शुरू
चिराग पासवान का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने का चुनावी विश्लेषण भी शुरू हो गया है. इस मुलाकात के बाद विश्लेषकों का मानना है कि अब नीतीश कुमार की कुर्सी निर्विवाद हो गयी. एनडीए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहेंगे. इस पर चिराग पासवान ने भी मुहर लगा दी. एनडीए में कई दल शामिल हैं. इसमें चिराग पासवान भी जिनके तेवर और सुर कभी-कभी बदलते रहते हैं.
महत्वपूर्ण मोड माना जा रहा
चिराग पासवान का 19 मई को नीतीश कुमार से मुलाकात को राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है. इस भेंट को आगामी विधानसभा चुनावों मे संदर्भ में नये राजनीतिक समीकरणों को तो जन्म नहीं दिया जा रहा है.
2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश के विरोधी थे
विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान नीतीश कुमार के खिलाफ मुखर थे और उनकी पार्टी ने अकेल चुनाव लड़कर जेडीयू को नुकसान पहुंचाया था, अब पूरी तरह से एनडीए के साथ हैं और नीतीश कुमार को मुख्मंत्री पद के लिए समर्थन दे रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं और नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे.
चिराग का कदम परिपक्वता भरा
राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह बदलाव चिराग की राजनीति रणनीति में परिपक्वता और व्यावहारिकता को दर्शाता है. उनकी पार्टी, लोजपा (रामविलास), ने 2020 में भले ही केवल एक सीट जीती थी, लेकेन छह प्रतिशत वोटों शेयर के साथ अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराई थी. अब, एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से उन्हें न केवल सीटों की संख्या बढ़ाने का अवसर मिलेगा, बल्कि दलित और महादलित वोट बैंक में भी मजबूती मिलेगी.
विपक्ष के लिए हो सकती है चुनौती
नीतीश कुमार और चिराग पासवान की यह नजदीकी विपक्ष,विशेषकर तेजस्वी यादव और राजद के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है. एनडीए की एकजुटता और मजबूत नेतृत्व विपक्षी महागठबंधन के लिए कठिनाई पैदा कर सकता है.
मजबूत हुई एनडीए
इस मुलाकात के बाद बिहार की राजनीति में एनडीए की स्थिति और मजबूत हुई है, और यह संकेत मिलता है कि आगामी चुनावों में महागठबंधन की रणनीति और नेतृत्व स्पष्ट है. चिराग पासवान का यह कदम न केवल उनकी पार्टी के लिए लाभदायी हो सकता है, बल्कि बिहार की राजनीति में स्थिरता और विकास की दिशा में भी एक सकारात्म संकेत है.