पटना. अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात शल्य चिकित्सक एवं विश्व संवाद केंद्र के संस्थापक न्यासी डॉ नरेंद्र प्रसाद (पद्मश्री) नहीं रहे. बुधवार को दिन में 3:00 बजे उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. वे अपने पीछे परिवार में पुत्र, पुत्रवधु, दो पौत्री और एक पौत्र से भरा पूरा परिवार को बिलखता छोड़ गए हैं. अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर गुरुवार को प्रातः 10 बजे होगा. मुखाग्नि पुत्र डॉ आलोक अभिजीत देंगे.
नालंदा जिला के मानपुर थानांतर्गत के तिउरी ग्राम के रहनेवाले थे
(पद्मश्री) डॉ नरेंद्र प्रसाद का जन्म 1 नवंबर, 1934 को नालंदा जिला के मानपुर थानांतर्गत के तिउरी ग्राम में हुआ था. सात भाई बहनों में वे दूसरे थे. उन्होंने 1956 में पटना विश्वविद्यालय के पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल से एमबीबीएस, 1959 में एमएस और 1962 में लंदन से एफआरसीएस की डिग्री प्राप्त की. 21 नवंबर,1957 को बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा में आये . पहली पोस्टिंग सहरसा के थुमहा में 1958 में हुई. 1962 में पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रेजिडेंट सर्जिकल ऑफिसर के पद पर नियुक्त हुए. यहां अपने कई दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया. पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रजिस्ट्रार, सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और प्राध्यापक रहे. 1989 में शल्य चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष बने और यही से 31 मार्च, 1992 को सेवानिवृत हुए. चिकित्सा में आपके अविस्मरणीय योगदान को देखते हुए 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पद्मश्री से अलंकृत किया.
सामाजिक योगदान
चिकित्सा के साथ-साथ आप सामाजिक सामाजिक गतिविधियों से भी गहरे रूप से जुड़े हुए थे. कई संस्थाओं के जनक थे. विश्व संवाद केंद्र की स्थापना 1999 में हुई. आप उसके संस्थापक न्यासी थे. आरोग्य भारती के बिहार और झारखंड के संयोजक रहे. भारत विकास परिषद के सदस्य रहे रहे. नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन के आजीवन सदस्य थे. 1993 से 1996 तक बिहार एनएमओ के अध्यक्ष रहे. इस संस्था के दो- दो बार (1997 और 1999) राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. इस संस्था द्वारा विभिन्न स्कूलों में जाकर छात्रों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण प्रारंभ कराया. 25000 से अधिक स्कूली छात्रों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया. सभी छात्रों को उनका हेल्थ कार्ड दिया जाता था. 20 वर्षों तक महावीर आरोग्य संस्थान पटना में प्रति सप्ताह निशुल्क सेवा दी.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के 1968 से आजीवन सदस्य थे. वहां भी कई दायित्वों का निर्वहन किया. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की विभिन्न सामाजिक गतिविधियों से 30 वर्षों तक जुड़े रहे. इस संस्था द्वारा शुद्ध पेयजल, ग्रामीण और गंदी बस्तियों में ट्यूबवेल शोध, स्वास्थ्य सप्ताह कार्यक्रम, राष्ट्रीय आपदा नियंत्रण कार्यक्रम, स्कूली स्वास्थ्य परीक्षण कार्यक्रम, ग्रामीण स्वास्थ्य परीक्षण और शैक्षिक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी दी.
आप जेपी विचार मंच के अध्यक्ष थे. लोकसभा परिसर में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 18 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा की स्थापना हुई. इस पूरे आयोजन के केंद्र में डा प्रसाद ही थे. प्रतिमा का अनावरण तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर के आर नारायणन के कर- कमलों से हुआ था.