कभी आपने ऐसा महसूस किया है कि आपके कान में लगातार कोई आवाज गूंज रही है—जैसे कि सीटी, गुनगुनाहट, या दिल की धड़कन जैसी कोई ध्वनि? और सबसे हैरानी की बात यह कि ये आवाजें सिर्फ आप सुन पा रहे हैं, बाकी कोई नहीं? अगर हां, तो मुमकिन है कि आप “टिनिटस” नाम की एक आम लेकिन भ्रमित कर देने वाली स्थिति से जूझ रहे हों। टिनिटस का मतलब है – कान में लगातार बजने वाली आवाजों का अनुभव, जबकि आसपास ऐसी कोई आवाज मौजूद नहीं होती। यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि किसी और अंदरूनी समस्या का संकेत हो सकती है, जैसे कान के अंदरूनी हिस्से को नुकसान। अच्छी बात ये है कि यह अक्सर गंभीर नहीं होता और सही इलाज व देखभाल से धीरे-धीरे ठीक हो सकता है।

टिनिटस क्या है?

कल्पना कीजिए कि आप हर वक़्त कोई ऐसी आवाज़ सुन रहे हैं जो सिर्फ़ आप ही सुन सकते हैं – जैसे सीटी, भनभनाहट, दिल की धड़कन जैसी गूंज या कोई धीमा संगीत। ये आवाज़ें हर समय आपके साथ रहती हैं, चाहे दिन हो या रात, भीड़ हो या सन्नाटा। टिनिटस का यही सबसे बड़ा बोझ है – यह दिखाई नहीं देता, लेकिन इसे झेलने वाला थक जाता है।

क्यों होती है ये समस्या?

टिनिटस के पीछे कई कारण हो सकते हैं – सबसे आम कारण है कान के अंदरूनी हिस्से का कमजोर हो जाना या उसमें चोट लगना। कई बार यह उम्र के साथ सुनने की शक्ति कम होने पर होता है, या तेज़ आवाज़ों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से। कुछ मामलों में यह रक्तचाप, थायरॉयड या किसी दवा के असर से भी हो सकता है।
बुजुर्गों में यह ज़्यादा आम है, लेकिन आजकल युवाओं में भी हेडफोन और लाउड म्यूज़िक के चलते इसके मामले बढ़ रहे हैं।

हर किसी की आवाज अलग होती है

टिनिटस का अनुभव हर व्यक्ति के लिए अलग होता है। किसी को लगता है जैसे कोई फुसफुसा रहा है, किसी को लगता है जैसे दूर कहीं घंटी बज रही है। कुछ लोग कहते हैं – लगता है जैसे पंखा चल रहा है, पर चलता नहीं है।
और कुछ – जैसे कोई धीमा सा संगीत कानों में बज रहा हो, लेकिन रेडियो बंद हो।

समस्या सिर्फ सुनने की नहीं है

टिनिटस केवल एक आवाज भर नहीं है। यह नींद उड़ाता है, थकान बढ़ाता है, और कई बार अवसाद की ओर ले जाता है। जब हर वक्त दिमाग़ में कुछ न कुछ बजता रहे, तो इंसान अकेला और परेशान महसूस करने लगता है।
टिनिटस का असर रिश्तों पर भी पड़ता है – कई बार परिवार को समझ नहीं आता कि पीड़ित किस तकलीफ़ से गुजर रहा है। और यही इसे और मुश्किल बना देता है।

जांच और इलाज कैसे होता है?

जब कोई इस तरह की आवाजें लगातार महसूस करता है, तो डॉक्टर सबसे पहले कान की जांच करते हैं।
इसके बाद रक्त जांच, सुनने की जांच और MRI जैसे स्कैन से यह पता लगाया जाता है कि समस्या कहां है।

इलाज सीधे उस कारण पर निर्भर करता है –

कान में मैल हो तो उसे साफ किया जाता है। अगर ब्लड प्रेशर या थायरॉयड की गड़बड़ी है तो उसका इलाज होता है। कभी-कभी दवा बदली जाती है और कई बार सिर्फ़ सलाह, व्यायाम और जीवनशैली सुधार से ही राहत मिलती है।

अगर इलाज न हो तो?

अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह: नींद में खलल, थकावट और चिड़चिड़ापन , याददाश्त में कमी, अवसाद यहां तक कि हार्ट स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति तक भी ले जा सकता है.

रोकथाम और साथ

टिनिटस से लड़ने के लिए सबसे ज़रूरी है – समझदारी और सहारा। अगर किसी को यह समस्या है, तो उन्हें अकेला न महसूस होने दें। कुछ आसान उपाय भी मदद करते हैं. तेज आवाज़ों से बचें, तनाव कम करें, योग या ध्यान अपनाएं, नियमित व्यायाम करें, संतुलित और कम नमक वाला भोजन लें, नींद पूरी करें, कैफीन और शराब का सेवन सीमित करें।
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