डेस्क. वीवीपैट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला तब आया है जब देश में दुसरे चरण का मतदान शुक्रवार को कराया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट को लेकर सभी याचिकाओं को सिरे से खारिज कर दिया है. साथ ही कहा है कि वीवीपैट की सभी पर्चियों का शतप्रतिशत मिलान इवीएम में डाले गये मतों से नहीं कराया जायेगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद उप विजेता वीवीपैट के स्लिप के मिलान की मांग करते हैं तो प्रति विधानसभा क्षेत्र में पांच प्रतिशत जले हुए मेमोरी सेमी कंट्रोल से ही उसका मिलान किया जायेगा.
देश के विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से इवीएम को लेकर सवाल खड़े किये जाते रहे हैं. इसको लेकर भार निर्वाचन आयोग ने सभी प्लेटफार्मों पर इसका जवाब दिया है. दरअसल में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में इस बार इवीएम के अलावा वीवीपैट को लेकर दायर किया गया था.
क्या है वीवीपैट मशीन
वेटर वेरिफियेबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) एक ऐसी मशीन है जो इवीएम के कंट्रोल यूनिट (सीयू) और बैलेट यूनिट (बीयू) की तरह उससे जुड़ी रहती है. यह एक बॉक्स है जिसमें कोई वोटर अपने मत को बैलेट यूनिट के बटन को दबाता है तो एक स्लिप वीवीपैट से निकलती है. यह स्लिप कुछ सेकेंड तक मतदाताओं को दिखती है. इससे यह पता चलता है कि वोटर ने जिस प्रत्याशी को वोट दिया है वह सही में उसी प्रत्याशी को मिला है अथवा नहीं. वीवीपैट में निकले हुए स्लिप और वोट का उससे मिलान हो जाता है.
क्या है विवाद का कारण
विभिन्न संस्थाओं द्वारा मतगणना (काउंटिंग) के दौरान इवीएम में डाले गये वोट और वीवीपैट की स्लिप का शत प्रतिशत मिलान करने की मांग कर रहे हैं. अगर वीवीपैट के स्लिप का शत प्रतिशत मिलान किया जाये तो फिर बैलेट पेपर के द्वारा दिये गये मतदान की तरह उसकी गिनती करनी पड़ेगी. यह फिर से एक दुरूह प्रक्रिया हो जायेगी और काउंटिंग में कई दिनों का समय लग जायेगा. इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शतप्रतिशत वीवीपैट के स्लिप के मिलान की अनुमति वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

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