गर्मी के मौसम में फोड़ा निकलना सामान्य बात है. पर यह किसी भी बीमारी की चेतावनी है. फोड़े को सिर्फ एक छोटा सा घाव समझकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. हमारा शरीर की जटिल और अद्भूत बनावट है. शरीर में यह क्षमता होती है कि यह हमे रोजमर्रा की जिंदगी में अनेक बाहरी और अंदर के खतरों से बचाने के लिए लगातार काम करती है. कभी कभी हमारा शरीर हमें कुछ संकेत देता है कि भीतर में कुछ गड़बड़ हो रहा है. शहरी में होनेवाला फोड़ा भी ऐसा ही एक संकेत के रूप में उभरता है. यह न केवल एक शारीरिक तकलीफ है बल्कि कई बार मानसिक रूप से व्यक्ति को परेशान कर सकता है.

क्या होता है फोड़ा

फोड़ा एक दर्दनाक, मवाद से भरी हुई सूजन होती है जो शरीर के त्वाचा पर या शरीर के अंदर कहीं भी हो सकता है. यह सूजन आमतौर पर लाल, गर्म और छूने में अत्यंत पीड़ादायक होता है. इसकी स्थिति तब होती है जब शरीर किसी जीवाणु के संक्रमण से लड़ रहा होता है. और प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युन सिस्टम) उस संक्रमण को एक जगह सीमित कर देती है. उस स्थान पर मरे हुए उत्तकों, सफेद रक्त कोशिकाओं और बैक्टीरिया से मवाद बनता है.

कितने प्रकार का फोड़ा होता है और उसका लक्षण क्या है

फोड़ा एक दर्दनाक, मवाद से भरी हुई सूजन होता है जो शरीर के त्वचा पर या शरीर के अंदर कहीं भी विकसित हो सकता है. यह सूजन आम तौर पर लाल, गर्म और छूने में पीड़ादायक होता है.
फोड़ा कितने प्रकार का होता है
फोड़े दो प्रकार के होते हैं.
पहला बाहरी जिसमें त्वचा पर दिखाई देता है और दूसरा जो शरीर के अंदर भाग में होता है.
बाहरी फोड़े
आमतौर पर त्वचा पर बनते हैं. इसके लक्षण कुछ इस प्रकार से दिखाई देते हैं. जहां पर फोड़ा होता है उस प्रभावित हिस्से में लालिमा और गर्मी होती है. सूजन और दबाने पर दर्द महसूस होती है. मवाद से भरी गांठ होती है और इससे बुखार और कंपकपी भी होने लगती है.
आंतरिक फोड़े
आंतरिक फोड़े शरीर के किसी अंग में बन सकते हैं. जैसे कि लीवर, फेफड़े, पेट या दिमाग के अंदर. इसके कुछ लक्षण होते हैं. जिसमें पीड़ित व्यक्ति को लगातारा बुखार रहना, उल्टी, मितली, भूख न लगना, थकान और कमजोरी महसूस होना, पेट में दर्ज या सूजन होना और वजन कम होना शामिल है.

जीवन होता है प्रभावित

शरीर में इस तरह के लक्षणों से व्यक्ति का दैनिक जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है. शरीर में तकलीफ के साथ साथ मानसिक बेचैनी भी बढ़ जाती है. इससे पीड़ित मरीज यह समझ नहीं पाता है कि शरीर के अंदर क्या गलत हो रहा है.

फोड़ा होने के कारण

फोड़ा समान्य रूप से एक बैक्टीरिया के संक्रमण से होनेवाला परिणाम है. स्टेफिलोकोकस ऑरियस नामक जीवाणु अक्सर इसका कारण होता है. जब त्वचा में कोई दरार, कट या घाव होता है, तो यह बैक्टीरिया उसी स्थान से शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है. साथ संक्रमण को फैलाता है. इसके अन्य कारणों में पसीने की ग्रंथियों का बंद होना, बालों के रोम में सूजन (फोलिकुलाइटिस) होने से, डाइबिटिज या अन्य रोगों के कारण इम्यून सिस्टम में कमजोरी आना, साफ-सफाई का अभाव और गंदगी होा, बार-बार की सर्जरी या चोट लगना हो सकता है. आंतरिक फोड़े अक्सर आंतरिक चोट, संक्रमण, सर्जरी या शरीर के भीतर बैक्टीरिया के फैलने से होते हैं.

इसका जांच

फोड़े के इलाज का एक अनुभवी डॉक्टर द्वारा शरीर की जांच (परीक्षण) के आधार पर किया जाता है. कुछ मामलों में तो विशेष जांच की आवश्यकता होती है.
मवाद की जांच – फोड़े से निकाले गये मवाद का जांच करके यह पता लगाया जा सकता है कि कौन सा बैक्टीरिया इसका कारण हैं.
पेशाब की जांच – बार-बार किसी को फोड़ा होता है तो पीड़ित व्यक्ति को डाइबिटिज (सुगर) की जांच कराना जरूरी होता है. क्योंकि सुगर के मरीजों में फोड़े जल्दी और अधिक गंभीर होते हैं.
अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन जांच – अंदर को फोड़े की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन की मदद से सटीक स्थान और आकार की जानकारी मिलती है.

इलाज

फोड़े के इलाज के लिए उसके आकार-प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है.
दवाओं से इलाज – जीवाणु के संक्रमण को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक्स दिये जाते हैं. सामान्य दवाओं में फ्लुक्लोक्सासिलिन,क्लिंडामाइसिन और सेफलोस्पोरिन जैसी दवाएं शामिल हैं. हालांकि किसी भी प्रकार की दवा लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श ले लेनी चाहिए.
सर्जरी से इलाज
जब मवाद बहुत अधिक होता है तो उसे बाहर निकालने के लिए सर्जन चीरा लगाकर मवाद को बाहर निकाल देते हैं. यह प्रक्रिया कभी कभी स्थानीय एनेस्थीसिया के साथ की जाती है, लेकिन फोड़े की अम्लीयता के कारण दर्दनाशक प्रभाव कम हो सकता है.

देखभाल

घाव को साफ और सूखा रखना बहुत जरूरी होता है. डाक्टर द्वारा सलाह दी गयी दवाएं नियमित रुप से खानी चाहिए. ज्यादा फोड़े होने पर जीवनशैली में बदलाव जरूरी हो सकता है.

संभावित जटिलताएं

अगर फोड़े का इलाज समय पर न किया जाये, तो यह गंभीर समस्या पैदा कर सकता है. मवाद के साथ संक्रमण होने पर यह खून में जाकर पूरे शरीर में फैल सकता है. इसे सेप्सिस कहा जाता है. यह हड्डियों या हृदय वाल्व तक संक्रमण को फैला सकता है. लगातार फोड़े अल्सर या गैंग्रीन में बदल सकता है, जिससे अंग को काटने की जरूरत पड़ सकती है. त्वचा पर स्थायी दाग या विकृति रह सकती है.

रोकथाम के उपाय

यह कहावत है कि इलाज से बेहतर बचाव होता है. फोड़े से बचाव के लिए कई उपाय हैं जिनसे बचाव किया जा सकता है. मसलन सेविंग किट या तौलिया जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं को परिवार के सदस्यों के साथ साझा नहीं किया जाये. त्वचा को हमेशा साफ रखें और नियमित स्नान करने से भी इस प्रकार के संक्रमण से बचा जा सकता है. इसके साथ ही किसी भी स्थान पर कटने या घाव होने पर तुरंत साबुन और साफ पानी से धोना चाहिए. ऐसा भोजन करें जिससे शरीर को सभी प्रकार के विटामिन और मिनरल प्राप्त हो सकें और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो. मधुमेह की बीमारी और अन्य जीवनशैली की बीमारियों को नियंत्रण में रखे. गंदगी और धूल मिट्टी में काम करते समय शरीर को ढ़क कर रखें.

निष्कर्ष

फोड़ा आम लेकिन एक गंभीर स्थिति है. इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. यह शरीर के अंदर का एक संकेत है कि अंदर कुछ गलत हो रहा है और उसे समय पर ध्यान देने की जरूरत है. इसका समय पर सही इलाज और साफ-सुथरी जीवन शैली अपनाकर फोड़े की समस्या से बचा जा सकता है. यह समझना जरूरी है कि फोड़ा सिर्फ त्वचा पर बना एक घाव नहीं होता- यह शरीर और मन दोनों की तकलीफ का प्रतीक भी हो सकता है. सही समय पर सही कदम उठाकर हम न केवल स्वस्थ शरीर की ओर बढ़ सकते हैं बल्कि मानसिक संतुलन भी बनाये रख सकते हैं. अगर आप या आपके नजदीकी किसी को फोड़े की शिकायत है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लें -क्योंकि एक छोटी सी लापरवाही बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है.
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